2025 में भारत में कितने प्रतिशत लोग शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं?

 

2025 में भारत में कितने प्रतिशत लोग शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं?

2025 में भारत का शेयर बाजार निवेशकों के लिए एक अत्यंत आकर्षक केंद्र बनकर उभरा है। डिजिटलाइजेशन, तकनीकी क्रांति और मजबूत नीतिगत सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व ऊँचाइयों पर पहुँचाया है, जिससे निवेश के प्रति आम जनता की जागरूकता में तेजी से विस्तार हुआ है। पहले का यह दायरा, जो मुख्य रूप से बड़े कारोबारियों और अनुभवी ट्रेडरों तक सीमित था, अब छोटे निवेशकों, युवा पेशेवरों, छात्रों और यहाँ तक कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों तक फैल गया है।

सरकार और वित्तीय संस्थानों की ओर से लगातार किए जा रहे निवेश जागरूकता अभियान, आसान ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म और मोबाइल ऐप्स ने इस भागीदारी को और बढ़ावा दिया है। म्यूचुअल फंड्स, SIP और डीमैट अकाउंट खोलने की सरल प्रक्रिया ने आम जनता के लिए निवेश को सरल बना दिया है।

2025 तक यह सवाल सभी के मन में है कि वास्तव में कितने प्रतिशत भारतीय अब सीधे शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं। आंकड़े यह बताते हैं कि यह प्रतिशत पिछले वर्षों की तुलना में काफी बढ़ा है और निवेश अब केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि छोटे कस्बों और गांवों तक फैल गया है। यह परिवर्तन भारत की आर्थिक सोच और भविष्य की दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

2025 में भारत में कितने प्रतिशत लोग शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं?

परिचय

जब हम पूछते हैं, “2025 में भारत में कितने प्रतिशत लोग शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं?”, तो यह सवाल सतही से कहीं अधिक अर्थपूर्ण है। यह सिर्फ संख्या की बात नहीं—यह हमारे वित्तीय शिक्षा, निवेश संस्कार, डिजिटल पहुँच, और देश की आर्थिक दिशा की कहानी है।

1. निवेशकों की बढ़ती संख्या: कितने लोग शेयर बाजार से जुड़े हैं?

फरवरी 2024 से फरवरी 2025 के बीच, भारत में रजिस्टर्ड निवेशकों की संख्या में 2.2 करोड़ की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जो 9 करोड़ से बढ़कर 11.2 करोड़ (112 मिलियन) हो गई।

अब लगभग 20% भारतीय घराना सीधे बाजार में निवेश करता है।

यदि हम परिवारों की औसत आकार मानें—लगभग 4 सदस्य—तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि करीब 5% से अधिक भारतीय आबादी (कुल 145 करोड़ में से) सीधे शेयर बाजार में निवेशित है।

2. परिवार आधारित निवेश: वास्तविक परिप्रेक्ष्य

एक अध्ययन के अनुसार, वित्तीय संपत्तियों में केवल 5% हिस्सा स्टॉक्स (प्रत्यक्ष) में था, और 6% म्यूचुअल फंड्स में।

वर्तमान स्थिति में, वित्तीय संपत्तियों का अधिकांश हिस्सा अभी भी बैंक जमाओं, रियल एस्टेट और सोने जैसे पारंपरिक विकल्पों में है।

3. डिजिटल निवेश और युवा तेज़ी से बढ़ते निवेशक

वित्तीय मंचों और डिजिटल माध्यमों की पहुँच ने निवेश को सरल और अधिक सुलभ बना दिया है।

एक सर्वे में पाया गया कि 81% भारतीयों ने शेयर बाजार में किसी न किसी रूप में निवेश किया है।

युवा वर्ग (35 वर्ष से कम आयु) में 45% अब शेयर को प्राथमिक निवेश विकल्प मानते हैं।

यह दिखाता है कि नई पीढ़ी निवेश के मामले में पहले से कहीं अधिक सक्रिय है।

4. घरेलू निवेश की भूमिका: स्थिरता की उम्मीद

भारत के शेयर बाजार में घरेलू निवेशकों की भूमिका दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।

2024 में, SIPs (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में घरेलू निवेशकों का औसत मासिक निवेश 2.7 अरब डॉलर रहा।

घरेलू निवेश बढ़ने से विदेशी पूंजी पर निर्भरता कम हुई है, जिससे बाजार को अधिक स्थिरता मिली है।

5. जोखिम और सावधानियाँ: क्या निवेश बुलबुले की ओर बढ़ रहा है?

हालांकि निवेशकों की संख्या और सक्रियता बढ़ी है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने हैं:

व्युत्पन्न (derivatives) में 90% से अधिक खुदरा निवेशक नुकसान में हैं।

कई रिपोर्ट्स ने इस तेज़ी को बुलबुला (bubble) या अत्यधिक उत्साह (speculation) के रूप में देखा है।

2025 में बाजार में आई भीषण गिरावट, जिसने 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के बाजार पूंजीकरण को वाष्पित कर दिया, का सीधा प्रभाव छोटे खुदरा निवेशकों पर पड़ा।

6. निष्कर्ष: 2025 में भारत में कितने लोग शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं?

2025 में भारत में कितने प्रतिशत लोग शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं?

संख्यात्मक सारांश:

मापदंड अनुमानित संख्या/प्रतिशत

रजिस्टर्ड निवेशक 11.2 करोड़ (लगभग 5–6% आबादी)

शेयर बाजार में निवेशित घराने लगभग 20% घराने

सर्वेक्षण आधारित निवेशक 81% (सर्वेक्षण अनुसार)

युवा वर्ग में प्राथमिक निवेश विकल्प 45% (उम्र < 35)

निवेशक एसआईपी के जरिए हर महीने 2.7 अरब डॉलर का निवेश कर रहे हैं।

इसलिए, कुल आबादी यानी लगभग 145 करोड़ भारतीयों को ध्यान में रखें, तो सीधे तौर पर शेयर बाजार में निवेशित व्यक्तियों की संख्या 5% से 10% (लगभग 7 से 14 करोड़ लोग) हो सकती है।

परन्तु यदि हम अप्रत्यक्ष निवेशकों (जैसे कि म्यूचुअल फंड्स या SIP के माध्यम से) को शामिल करें, तो यह अनुपात कुछ और बढ़कर 15–20% तक पहुँच सकता है।

7. आगे का रास्ता: समझ, शिक्षा और टिकाऊ वृद्धि

निवेशकों में जागरूकता बढ़ रही है, खासकर युवा वर्ग में — लेकिन शिक्षा और संरचित मार्गदर्शन की आवश्यकता अभी भी है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म (जैसे Groww आदि) की पहुँच बढ़ने से निवेश में सरलता आई है।

साथ ही, नियामक संस्थाओं की सतर्कता, जोखिम को सीमित करके निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।

निष्कर्ष स्वरूप

प्रत्यक्ष निवेश: लगभग 5–6% आबादी (लगभग 11 करोड़ निवेशक, 20% घराने) शेयर बाजार से जुड़े हैं।

अप्रत्यक्ष और सर्वेक्षण आधारित भागीदारी: 15–20% तक पहुँचना संभव है, विशेषकर जब SIP और म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से निवेश शामिल हो।

ध्यान देने योग्य बातें: युवा पीढ़ी का उत्साह, डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रसार, लेकिन साथ में वित्तीय शिक्षा और जोखिम प्रबंधन की कमी एक बड़ा चैलेंज है।

इसलिए, 2025 में भारत में शेयर बाजार में निवेश की हिस्सेदारी बढ़ी है — लेकिन यह अभी भी वैश्विक स्तर पर बहुत कम है एवं विकास की गुंजाइश बाकी है। आने वाले वर्षों में जैसे-जैसे शिक्षा, डिजिटलाइजेशन और जागरूकता बढ़ेगी, वैसे-वैसे यह प्रतिशत और भी अधिक हो सकता है।

2025 में भारत में शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों के प्रतिशत पर की गई चर्चा से यह स्पष्ट होता है कि देश की अर्थव्यवस्था और निवेश संस्कृति में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। जहाँ पहले निवेश केवल एक सीमित वर्ग तक ही केंद्रित था, वहीं अब डिजिटल प्लेटफ़ॉर्मों, सरल डीमैट खाता खोलने की प्रक्रिया और सरकारी नियमों में पारदर्शिता के कारण लाखों नए निवेशक बाजार से जुड़े हैं। विशेष रूप से युवाओं और छोटे शहरों के निवेशकों में इस ओर बढ़ता रुझान संकेत देता है कि भारत में वित्तीय साक्षरता पहले से कहीं अधिक तेजी से बढ़ रही है।

हालांकि, यह भी ज़रूरी है कि निवेशक सही रणनीति, रिसर्च और धैर्य के साथ आगे बढ़ें, क्योंकि शेयर बाजार में केवल उत्साह नहीं, बल्कि समझदारी भी उतनी ही अहम है। 2025 में बढ़ती निवेशक संख्या भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है और यह पूंजी बाज़ार को और मज़बूत बनाएगी। आने वाले वर्षों में अगर यही रुझान जारी रहा, तो न सिर्फ़ निवेशकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि देश का शेयर बाजार भी वैश्विक स्तर पर और मजबूत स्थिति हासिल करेगा। यही वजह है कि आज निवेश सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि वित्तीय स्वतंत्रता की ओर बढ़ता कदम बन चुका है।

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प्रश्न 1. 2025 में भारत की कुल आबादी में कितने प्रतिशत लोग शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं?

उत्तर: 2025 में, भारत की कुल जनसंख्या का अनुमानित 10-12% हिस्सा शेयर बाजार में निवेश कर रहा है, जबकि वर्ष 2020 में यह संख्या मात्र 4-5% थी।

प्रश्न 2. भारत में 2025 तक कितने डीमैट अकाउंट खुले हैं?

उत्तर: 2025 तक भारत में डीमैट अकाउंट की संख्या 16 करोड़ से अधिक हो चुकी है, जो कि पिछले पाँच सालों में दोगुनी हुई है।

प्रश्न 3. किस राज्य में शेयर बाजार निवेशकों की संख्या सबसे ज्यादा है?

उत्तर: महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में निवेशकों की संख्या सबसे अधिक है।

प्रश्न 4. ग्रामीण भारत में कितने प्रतिशत लोग शेयर बाजार से जुड़े हैं?

उत्तर: 2025 तक ग्रामीण भारत में करीब 3-4% आबादी सीधे शेयर बाजार में निवेश कर रही है, जो 2020 के मुकाबले दोगुना है।

प्रश्न 5. भारत में किस आयु वर्ग के लोग शेयर बाजार में सबसे ज्यादा सक्रिय हैं?

उत्तर: निवेशकों में सबसे बड़ा हिस्सा 25 से 40 वर्ष की आयु के लोगों का है, जिसका प्रमुख कारण इस आयु वर्ग का तकनीक-अनुकूल होना और वित्तीय जोखिम उठाने की उनकी greater इच्छा शक्ति है।

प्रश्न 6. भारत में पुरुषों की तुलना में कितनी महिलाएँ शेयर बाजार में निवेश कर रही हैं?

उत्तर: 2025 तक लगभग 25% डीमैट अकाउंट महिलाओं के नाम पर खुले हैं, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 15% के आसपास था।

प्रश्न 7. भारत में शेयर बाजार में निवेश की सबसे बड़ी वजह क्या है?

उत्तर: उच्च रिटर्न की संभावना, डिजिटल प्लेटफॉर्म की आसान पहुँच और बैंक FD की कम ब्याज दरें शेयर बाजार में निवेश की बड़ी वजहें हैं।

प्रश्न 8. भारत में 2025 तक कितने प्रतिशत निवेशक म्यूचुअल फंड के जरिए बाजार से जुड़े हैं?

उत्तर: लगभग 6-7% भारतीय म्यूचुअल फंड SIP या अन्य योजनाओं के माध्यम से शेयर बाजार से जुड़े हैं।

प्रश्न 9. भारत की तुलना में अमेरिका या चीन में शेयर बाजार भागीदारी कितनी है?

उत्तर: अमेरिका में लगभग 50% से ज्यादा लोग शेयर बाजार में निवेश करते हैं, चीन में करीब 20-25%, जबकि भारत में यह अभी भी 10-12% के आसपास है।

प्रश्न 10. क्या आने वाले सालों में भारत में शेयर बाजार निवेशकों की संख्या बढ़ेगी?

उत्तर: हाँ, डिजिटल क्रांति, बढ़ती आय और वित्तीय साक्षरता के कारण 2030 तक भारत में निवेशकों की संख्या 20% से अधिक आबादी तक पहुँचने का अनुमान है।

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